आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पहले मायावती फिर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे आये सामने

First Mayawati and then Congress President Kharge came forward on the decision of Supreme Court in reservation case.

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Lucknow, 11 Aug, 2024 05:18 PM

लखनऊ, 11 अगस्त 2024 (आईपीएन)। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण विषय पर 01 अगस्त 2024 को आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर शनिवार को पहले मायावती फिर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया देते हुए इस सम्बन्ध में आये केन्द्र के बयान पर नाराज़गी जतायी है।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण विषय पर सुप्रीम कोर्ट के आये निर्णय पर प्रधानमंत्री का आश्वासन ही पर्याप्त नहीं है। यदि उनकी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रति मंशा साफ होती तो संसद की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित न किया गया होता। मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के जो लोग संविधान की कॉपी दिखा रहे थे अब वह कहां हैं। कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत देश के तमाम राजनीतिक दलों को इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहाँ इस निर्णय का इस्तेमाल करके अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। प्रधानमंत्री को तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए संविधान संशोधन बिल लाना चाहिए।
मायावती की प्रेसवार्ता के कुछ घंटों बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा...
पिछले दिनों Supreme Court का 7-Judge Bench का फ़ैसला आया, जिसमें उन्होंने SC-ST वर्ग के लोगों के लिए Sub-Categorisation का बात की।
इस फ़ैसले में SC-ST वर्ग के आरक्षण में Creamy Layer की भी बात की गई।
भारत में Scheduled Caste के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के Poona Pact के माध्यम से मिला। बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और Educational Institutions में भी लागू किया गया था।
परंतु 70 सालों के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब SC व ST समुदायों के लोगों की भर्तियाँ देखते है, तो पाते है कि अभी भी जो vacancies है वो नहीं भरी जा रही है, अधिकतर पद ख़ाली है। जिसका अर्थ है कि इन वर्ग के लोग, सम्मिलित रूप से मिलकर भी इन पदों को नहीं भर पा रहे। ये अभी भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ Compete नहीं कर सकते।
और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरक्षण का आधार किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक तरक़्क़ी - Economic Development नहीं था। बल्कि यह समाज में हज़ारों सालों से फैली अस्पृश्यता, Untouchability- छूआछूत को मिटाना - ख़त्म करना है । और यह समाज से अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। कई उदाहरण रोज़ हमारे सामने आते हैं।
इसलिए SC- ST समुदाय में creamy layer के बारे में बात करना ही ग़लत है ।  कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ़ है।
एक तरफ़ सरकार धीरे धीरे सरकारी PSU बेचकर नौकरियां ख़त्म कर रही है। ऊपर से, भाजपा की दलित-आदिवासी मानसिकता, आरक्षण पर निरंतर प्रहार कर रही है ।
सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी। मोदी सरकार 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था।
Judgement के अन्य विषयों की बारीकी के ऊपर निर्णय करने के लिए हम अलग अलग लोगों से - intellectual, experts, NGOs के साथ consultations कर रहे हैं।

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