UP CONGRESS बोली : नरेंद्र मोदी सरकार और निर्वाचन आयोग मिलकर जनता के विश्वास को तोड़ने की रच रहे हैं साजिश
UP Congress said: Narendra Modi government and Election Commission are conspiring together to break the trust of the people

IPN Live
Lucknow, 22 Jun, 2025 01:13 AMलखनऊ, (आईपीएन)। उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन डॉ0 सी पी राय-पूर्व मंत्री ने कहा है कि भारत का निर्वाचन आयोग जो टी एन शेसन के समय मे लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रतीक था, आज सवालों के घेरे में है। निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में लिया गया फैसला, जिसमें चुनाव से संबंधित वीडियो, फुटेज और रिकॉर्डिंग को एक साल की बजाय महज 45 दिन में डिलीट करने का निर्देश दिया गया है, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर गहरा हमला है। इस कदम से साफ जाहिर होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार और निर्वाचन आयोग मिलकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने और जनता के विश्वास को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं।
राहुल गांधी ने बार-बार हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में पारदर्शिता की कमी और संदिग्ध अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र में तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 2 घंटे में 65 लाख वोट डालने का दावा शारीरिक रूप से असंभव है। इसके बावजूद, निर्वाचन आयोग ने न केवल इन सवालों का संतोषजनक जवाब देना जरूरी नहीं समझा, बल्कि अब सबूतों को ही मिटाने की जल्दबाजी दिखा रहा है। यह नया नियम, जिसमें सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग जैसी महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग को 45 दिन में नष्ट कर दिया जाएगा, सीधे-सीधे “मैच फिक्सिंग” की ओर इशारा करता है।
डॉ0 सी पी राय ने कहा है कि बिहार के आगामी चुनाव के संदर्भ में यह नया नियम और भी खतरनाक संकेत दे रहा है। जेडीयू और बीजेपी गठबंधन इस चुनाव को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं, ऐसे में वोटरों की गोपनीयता के नाम पर रिकॉर्डिंग को जल्दी डिलीट करने का बहाना संदेह पैदा करता है। क्या यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि बिहार में भी हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह संदिग्ध गतिविधियों पर पर्दा डाला जा सके? क्या निर्वाचन आयोग और मोदी सरकार मिलकर बिहार के मतदाताओं के साथ धोखा करने की योजना बना रहे हैं? यह सवाल हर लोकतंत्र प्रेमी नागरिक के मन में उठ रहा है।
निर्वाचन आयोग का दावा है कि यह कदम वोटर की गोपनीयता की रक्षा और एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है, लेकिन यह तर्क खोखला है। जब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पहले पारदर्शिता के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग और फॉर्म 17 सी जैसे दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग का समर्थन किया है, तो आयोग का यह कदम संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना है। यह स्पष्ट है कि सरकार और आयोग मिलकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपारदर्शी बनाना चाहते हैं ताकि सत्ता पक्ष की मनमानी को कोई चुनौती न दे सके।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करती है और मांग करती है कि निर्वाचन आयोग तत्काल इस नियम को वापस ले। हम यह भी मांग करते हैं कि सभी चुनावी रिकॉर्डिंग्स को कम से कम एक साल तक सुरक्षित रखा जाए और मतदाता सूची को मशीन-पठनीय प्रारूप में सार्वजनिक किया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, बिहार चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।
डॉ राय ने मोदी सरकार को चेतावनी दिया है कि लोकतंत्र कोई खिलौना नहीं है, जिसे आप अपनी सुविधा के अनुसार तोड़-मरोड़ सकें। जनता और कांग्रेस पार्टी इस साजिश को बेनकाब करने के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी। हम हर उस कदम का विरोध करेंगे जो लोकतंत्र को कमजोर करता हो। डॉ राय ने बिहार की जनता को आगाह किया कि सतर्क रहें, अपने वोट की ताकत को पहचानें और किसी भी धांधली को बर्दाश्त न करें। लोकतंत्र हमारा है, और इसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है।
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