डिम्पल विवाद पर बोले डॉ. राजेश्वर सिंह : जिस राष्ट्र में नारी पूज्य है, वहाँ उसके सम्मान पर टिप्पड़ी अस्वीकार्य
Dr. Rajeshwar Singh spoke on the Dimple controversy: In a nation where women are revered, commenting on their honour is unacceptable

IPN Live
Lucknow, 30 Jul, 2025 01:36 AMलखनऊ, (आईपीएन)। सपा सांसद डिंपल यादव पर मौलाना साजिद रशीदी की आपत्तिजनक टिप्पणी को भाजपा ने महिला सम्मान से जोड़ते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसी क्रम में सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे केवल एक महिला का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति, परंपरा और नारी गरिमा का अपमान करार दिया है। भाजपा विधायक डॉ. सिंह ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर समाजवादी पार्टी और उसके नेतृत्व पर करारा हमला बोला।
डॉ. सिंह ने कहा, “भारत में नारी निर्बल नहीं, बल्कि शक्ति, संस्कार और सृजन की प्रतीक है। यहां मां के चरण स्पर्श होते हैं, बेटियाँ लक्ष्मी मानी जाती हैं और साड़ी पहनने वाली महिलाएं पूज्य होती हैं। जो लोग इस गरिमा को अपमानित करते हैं, वे न संस्कृति के साधक हैं, न राष्ट्र के।”
उन्होंने तीखे शब्दों में इस विषय पर चुप्पी को 'छद्म धर्मनिरपेक्षता की ढाल में छिपा कायर मौन' बताते हुए कहा कि, “जो लोग बर्बर, स्त्री-विरोधी सोच रखने वाले मौलवियों की टिप्पणियों पर चुप्पी साधे बैठे हैं, वे भारत-विरोधी मानसिकता के वाहक हैं। ये चुप्पी सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण नहीं, बल्कि अपराध के समकक्ष है। जो साड़ी जैसे भारतीय परिधान और नारी की गरिमा का अपमान बर्दाश्त करते हैं, वे इस राष्ट्र की आत्मा, इसकी सभ्यता और संविधान तीनों के विरोधी हैं।”
डॉ. सिंह ने मौलाना साजिद रशीदी की मानसिकता की तुलना उन कट्टरपंथी ताकतों से की जिनकी वजह से अफगानिस्तान, ईरान, यमन और सीरिया में महिलाओं की स्थिति दयनीय हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, “ऐसी सोच को पालने-पोसने वाली संस्थाओं पर प्रतिबंध लगना चाहिए। ये मानसिक रोगी कठोरतम सजा के पात्र हैं। यदि ये कृत्य ईरान में किया गया होता, तो 74 कोड़े मारे जाते, और पाकिस्तान में भी ऐसे बयान पर 10 साल तक की जेल होती।”
दिया ऋग्वेद के ‘देवी सूक्त’ का उद्धरण : डॉ. सिंह ने ऋग्वेद के देवी सूत्र का उद्धरण देते हुए कहा, “अहं राष्ट्री संगमनी वसूनां...” मैं ही राष्ट्र की अधिष्ठात्री हूं। भारत की संस्कृति ने सदा नारी को केवल सहनशीलता नहीं, नेतृत्व और शक्ति का प्रतीक माना है। ऋग्वेद स्वयं कहता है, ‘साम्राज्ञी भव।’" डॉ. सिंह ने कहा कि यह 21वीं सदी का भारत है, कोई बर्बर युग नहीं। यहां नारी के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।
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