भाकपा (माले) का अंबेडकर के अपमान के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध सप्ताह 21-26 दिसंबर को
CPI(ML) to hold statewide protest week against insult to Ambedkar on December 21-26
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Lucknow, 20 Dec, 2024 07:28 PMलखनऊ, 20 दिसम्बर 2024 (आईपीएन)। भाकपा (माले) गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ संसद (राज्यसभा) में दिए गए अपमानजनक वक्तव्य के खिलाफ 21 से 26 दिसंबर तक राज्यव्यापी विरोध सप्ताह मनाएगी। इस दौरान पार्टी जिला मुख्यालय से लेकर गांवों तक धरना, प्रदर्शन व मार्च निकाल कर अमित शाह के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा और मोदी सरकार से राष्ट्र से माफी मांगने की मांग करेगी।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि गृह मंत्री, मोदी सरकार व भाजपा ने संविधान और डॉ. अंबेडकर की विरासत का अपमान किया है। गृह मंत्री के वक्तव्य से संविधान-विरोधी सोच रखने वाली मोदी सरकार का पर्दाफाश हो चुका है। डॉ. अंबेडकर रचित संविधान की शपथ लेकर उनका अपमान करने वालों ने करोड़ों-करोड़ देशवासियों को ठेस पहुंचाई है। ऐसे लोगों को सत्ता में रहने का हक नहीं है।
राज्य सचिव ने कहा कि संघ और भाजपा अंदरूनी तौर पर संविधान को नहीं मानते हैं। उनके लिए असल संविधान मनुस्मृति है। संघ जब डॉ. अंबेडकर लिखित संविधान लागू हो रहा था, तभी उसके खिलाफ था। वह आज भी इसके खिलाफ है। संघ-भाजपा संविधान को मानने का दिखावा करते हैं। मोदी सरकार के गुजरे साढ़े दस वर्षों में संविधान पर सर्वाधिक हमले हुए हैं। संविधान का वे कितना सम्मान करते हैं, इसकी असलियत जाने-अनजाने अमित शाह के वक्तव्य से सामने आ गई।
माले नेता ने कहा कि गुजरे लोकसभा चुनाव में देशवासियों और उत्तर प्रदेश वासियों ने यदि भाजपा को न रोका होता तो वह संविधान बदलने की ओर बढ़ चुकी होती। भाजपा को इसका मलाल है, जो अमित शाह के मुंह से राज्यसभा में अंबेडकर का अपमान करने वाले वक्तव्य के रुप में प्रकट हुआ। संविधान की प्रस्तावना में अंतर्निहित धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे शब्द भी उसे टीस पहुंचाते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन शब्दों को हटाने की मांग हाल में खारिज किया जाना भी संघ-भाजपा की श्पीड़ाश् का कारण है। यह पीड़ा अमित शाह की जुबां से प्रकट हुई।
राज्य सचिव ने कहा कि अंबेडकर के अपमान और संविधान पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सजग देशवासियों के आगे मनुवादियों की मंशा की हार होगी, गणतंत्र पर हिन्दू राष्ट्र की काली छाया छंटेगी और अन्ततः संविधान व लोकतंत्र की जीत होगी।
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