उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, बोले: चौ. चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे

Vice President Jagdeep Dhankhar paid tribute to former Prime Minister Chaudhary Charan Singh on his 37th death anniversary, said: Chaudhary Charan Singh was a symbol of honesty

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Lucknow, 29 May, 2024 08:14 PM

लखनऊ, 29 मई 2024 (आईपीएन)। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुद्धवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उनके समाधि स्थल किसान घाट पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर राज्य सभा सांसद जयंत चौधरी व अन्य गणमान्य जन भी किसान घाट पर उपस्थित रहे।

श्रद्धांजलि के उपरांत श्री धनखड़ ने कहा कि चौ. चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे। किसान, गरीब और गांव का उत्थान उनके दिल में रहता था। उनकी करनी और सोच में कोई फर्क नहीं था।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, बोले: चौ. चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे

स्व. चरण सिंह को भारत मां के महान सपूत बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब उनको भारत रत्न दिया गया तो करोड़ों लोगों ने देश-विदेश में प्रसन्नता व्यक्त की।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, बोले: चौ. चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे

एक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रुप में चरण सिंह की दूरदर्शी सोच की प्रशंसा करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन महान आत्मा के प्रति सही श्रद्धांजलि वही होगी कि उन्होंने जो पाठ पढ़ाया है - राष्ट्रवाद का, नैतिकता का, ईमानदारी का, भ्रष्टाचार रहित रहने का, सबको साथ लेकर चलने का - उसे हम अपने आचरण में उतारें।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, बोले: चौ. चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे

स्व. चरण सिंह के जीवन के बारे में कुछ तथ्य -

1902 में मेरठ के एक किसान परिवार में जन्म

मार्च, 2024 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वाेच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया

किसान और कामगार वर्ग की दशा और दिशा बदलने का संकल्प लेकर 1929 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुए।

एक ख्यातिप्राप्त कानूनविद के रुप में उन्होंने किसान हित को सर्वाेपरि रखा

1937 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने

यूपी में भूमि सुधार लागू किया और किसानों को उनकी भूमि का मालिकाना हक दिलाया

कर्ज से दबे किसानों को राहत देने के लिए डिपार्टमेंट रिडेम्पशन बिल (1939) को तैयार किया

1946, 1952, 1962 और 1967 विधान सभा में उत्तर प्रदेश की छपरौली सीट से निर्वाचित हुए

1970 में उत्तर प्रदेश के 5वें मुख्यमंत्री बने

साल 1979 में भारत के 5वें प्रधानमंत्री बने

भारत की प्रगति के लिए कृषि और लघु उद्योगों पर जोर दिया गया। अपना संपूर्ण जीवन ग्रामीण भारत के लिए समर्पित कर दिया।

प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ठोस निर्णय लिए।

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