क्रांतिकारियों की पीठ पर कोड़े पड़े, पर वंदे मातरम् का उद्घोष नहीं रुका: मंत्री कपिल देव अग्रवाल
Revolutionaries were lashed, but the chanting of Vande Mataram did not stop: Minister Kapil Dev Agarwal
IPN Live
Lucknow, 22 Dec, 2025 11:51 PMविधानसभा में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने गीत के माध्यम से वंदे मातरम् की महत्ता पर प्रकाश डाला
वंदे मातरम् समर्पण, संघर्ष और बलिदान की जीवंत अभिव्यक्ति है: मंत्री कपिल देव अग्रवाल
वंदे मातरम् की भावना ने भारत को विश्व मंच पर गौरव दिलाया: मंत्री कपिल देव अग्रवाल
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की आत्मा को जोड़ता है वंदे मातरम्: मंत्री कपिल देव अग्रवाल
लखनऊ, (आईपीएन)। प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने विधानसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित विशेष चर्चा में सहभाग करते हुए कहा कि संसद के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार वंदे मातरम् जैसे महान राष्ट्रगीत पर विस्तृत चर्चा होना प्रदेश के लिए ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि देश के लिए समर्पण, संघर्ष और बलिदान की भावना का जीवंत प्रतीक है।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब अंग्रेज, क्रांतिकारियों पर अत्याचार करते थे, तब भी उनके मुख से ‘वंदे मातरम्’ का उद्घोष नहीं रुकता था। पीठ पर कोड़े पड़ते थे, लेकिन देशभक्ति की यह लौ उन्हें झुकने नहीं देती थी।
मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष महत्व दिए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल स्मरण नहीं, बल्कि नई पीढ़ी, युवाओं और बालिकाओं में देश के प्रति समर्पण और संघर्ष की भावना को आगे बढ़ाने का संकल्प है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं पर जाते हैं और पूरी दुनिया के सामने वंदे मातरम् गूंजता है, तब भारत का सम्मान वैश्विक स्तर पर और ऊंचा होता है।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि चाहे जी-20 की अध्यक्षता हो, जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक निर्णय हों, 500 वर्षों बाद राम मंदिर का निर्माण हो, महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े सुधार हों या आतंकवाद के विरुद्ध देश की सेना का साहस इन सभी उपलब्धियों में वंदे मातरम् की भावना निहित है। उन्होंने कहा कि यह मंत्र उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम, सागर से नदियों तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की आत्मा को एक सूत्र में बांधता है। उन्होंने अपने संबोधन के अंत में वंदे मातरम् पर आधारित गीत गाकर की जिसमें उन्होंने गीत के माध्यम से बताया कि चाहे हम जीवित रहें या न रहें, वंदे मातरम् का गान पीढ़ियों तक गूंजता रहेगा। यही भारत की चेतना है, यही राष्ट्र की आत्मा है और यही देश को निरंतर आगे बढ़ाने की शक्ति है।

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