वंदे मातरम् का सम्मान ही सच्ची राष्ट्रभक्ति का प्रमाण: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय

Honoring Vande Mataram is proof of true patriotism: Minister Yogendra Upadhyay

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Lucknow, 23 Dec, 2025 12:12 AM
वंदे मातरम् का सम्मान ही सच्ची राष्ट्रभक्ति का प्रमाण: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय
वंदे मातरम् अतीत नहीं, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की प्रेरणा है: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय

वंदे मातरम् उन बलिदानियों को तर्पण है जिन्होंने हँसते-हँसते फाँसी को चूमा: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय

वंदे मातरम् भारत की जीवंत चेतना और राष्ट्रबोध का कालजयी स्वर: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय

भारत भूमि नहीं, जीवंत राष्ट्रपुरुष है, वंदे मातरम् उसकी आत्मा है: मंत्री योगेंद्र उपाध्याय

लखनऊ, (आईपीएन)। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने विधानसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित विशेष चर्चा में सहभाग करते हुए कहा कि यह कालजयी राष्ट्रगीत केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् क्या था, क्या है और क्या रहेगा, यह श्रृंखला आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रबोध से जोड़ने का कार्य करेगी। इस ऐतिहासिक चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद से और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा से की गई, जो अपने आप में गौरव का विषय है।

मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि वंदे मातरम् उन पूर्वजों को तर्पण है, जिन्होंने हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूमा और वंदे मातरम् गाते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह चर्चा उन्हीं बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की और यह गीत 150 वर्ष पूर्व ‘बंग दर्शन’ में पहली बार प्रकाशित हुआ। बाद में इसे उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया, जहां साधु-संन्यासियों के माध्यम से इसे राष्ट्रजागरण का स्वर दिया गया। उस समय यह गीत हताश और निराश भारतीय समाज में ऊर्जा, आत्मविश्वास और संघर्ष की चेतना जगाने का माध्यम बना। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् का मूल भाव मातृभूमि की वंदना है। यह संदेश देता है कि जन्मभूमि हमारी माँ है, जिसने हमें पाला-पोसा, और जिसके लिए समर्पण हमारा स्वभाव है। भारत कोई मात्र भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्रपुरुष है। इसकी नदियाँ गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी मातृस्वरूप हैं और हिमालय इसका मुकुट है, जबकि सागर इसके चरण धोता है।

मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं और औपनिवेशिक शक्तियों ने भारतीय संस्कृति, आस्थाओं और मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन वे भारत की मूल चेतना को नहीं बदल सके। अंग्रेजों ने शब्दों और शिक्षा के माध्यम से भारतीय मानस को बदलने का प्रयास किया, लेकिन वंदे मातरम् जैसे गीतों ने जनमानस में राष्ट्रप्रेम की लौ जलाए रखी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि साधना, आराधना और प्रार्थना है, देश और देशवासियों की समृद्धि के लिए। यह हमारी संस्कृति, प्रगति और चिति का अभिन्न हिस्सा है। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् का विरोध नहीं, बल्कि उसका सम्मान और स्वीकार ही राष्ट्रभक्ति का सच्चा प्रमाण है। भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए वंदे मातरम् राष्ट्र के प्रति निष्ठा का स्वाभाविक भाव होना चाहिए।

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