प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक विदेश यात्रा, क्या है संदेश ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्ष के कार्यकाल में उनकी अब तक की सबसे लंबी 5 देशों घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा संपन्न हो चुकी है। इन देशों ने जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत तथा उनका सम्मान किया उससे भारत का विश्वामित्र स्वरूप उभर कर आया है। आज विश्व के अनेकानेक देश प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित कर रहे हैं तथा उनके विचारों को आत्मसात करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की पांच देशों की यह यात्रा भविष्य को एक नई राह दिखाने वाली सिद्ध हो सकती है।

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Lucknow, 16 Jul, 2025 11:37 PMमृत्युंजय दीक्षित
आईपीएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्ष के कार्यकाल में उनकी अब तक की सबसे लंबी 5 देशों घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा संपन्न हो चुकी है। इन देशों ने जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत तथा उनका सम्मान किया उससे भारत का विश्वामित्र स्वरूप उभर कर आया है। आज विश्व के अनेकानेक देश प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित कर रहे हैं तथा उनके विचारों को आत्मसात करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की पांच देशों की यह यात्रा भविष्य को एक नई राह दिखाने वाली सिद्ध हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि इस समय में वैश्विक स्तर पर काफी उथल-पुथल मची हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए गठजोड़ बन बिगड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्राओं में पहलगाम आतंकवादी हमलों को प्रमुखता से उठाकर सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ सतर्क किया तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी संस्थाओं में सुधार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का प्रयास किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन भी देशों में जाते हैं उनको सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक व भावनात्मक रूप से भारत के निकट लाने का प्रयास करते है। इस यात्रा का एक पड़ाव ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन भी था जिसमे भारत के विचारों को प्रमुखता मिलने से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस प्रकार से नये टैरिफ युद्ध की घोषणा की है उससे उनकी बौखलाहट भी सामने आ रही है। आज वैश्विक जगत के अधिकांश देश अमेरिकी दादागिरि से डर नहीं रहे हैं अपितु उनकी हंसी उड़ा रहे हैं। अमेरिका जिस प्रकार से टैरिफ युद्ध कर रहा है उससे केवल और केवल उसका ही नुकसान होने जा रहा है क्योंकि अब पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है क्योंकि बडे-बडे़ निवेशक भारत आना चाह रहे है।
घाना - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच दिवसीय यात्रा के प्रथम चरण में घाना पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी को यहां पर घाना का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान “द आफिसर आफ द आर्डर आफ द स्टार आफ घाना“ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके नेतृत्व साहसिक सुधारों के लिए जरूरी कदम उठाने वैश्विक विकास और भारत व घाना के संबधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने घाना की संसद को भी संबोधित किया जहां पर उनका संबोधन सांसदों ने बहुत ध्यान से सुना और पूरी संसद तालियों की आवाज से गूंज उठी। मोदी ने कहा कि विश्व नए और जटिल संकटों से गूंज रहा है जैसे जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा। बदलती परिस्थितियों में वैश्विक शासन में विश्वसनीय और प्रभावी सुधारों की आवश्यकता है। अफ्रीकी संघ हमारी अध्यक्षता में जी-20 का अस्थायी सदस्य बना। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति जान महामा को एक हस्तनिर्मित बिदरी फूलदान तो उनकी पत्नी लार्ड ना महामा को चांद का पर्स उपहार में दिया। घाना के उपराष्ट्रपति को कश्मीर की पश्मीना शाल भेंट की। जब घाना में पीएम मोदी को तोपों की सलामी दी गई तो उससे सबसे ज्यादा जलन चीन को हो रही थीं।
घाना पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति महामा से द्विपक्षीय वार्ता की और कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये। सबसे अहम समझौता रेयर अर्थ मिनरल्स की माइनिंग को लेकर हुआ जो चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में बड़ा कदम है। यात्रा के दौरान भारत-घाना साझेदारी रणनीतिक, आर्थिक सहयेग के एक नये युग की शुरूआत हुई है। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प भी लिया।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो - घाना की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे और वहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। यह एक ऐसा देश है जिसकी स्थापना में भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां पर बिहार से संबंध रखने वाले यदुवंशियांे की तादाद काफी अच्छी है जिनका व्यापक प्रभाव है। यहां पर भी प्रधानमंत्री मोदी को सर्वाेच्च नागरिक सम्मान “द आर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो“ से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर भी संसद को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर रह रहे भारतवंशियों को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि अब भारतवंशियों की छठी पीढ़ी को भी ओसीआर कार्ड मिलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को सरयू नदी का जल और राम मंदिर की कलाकृति भेंट की। भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के मध्य द्विपक्षीय रिश्तो को मजबूत करने के लिए गंभीर चर्चा हुई तथा कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गये।
अर्जेंटीना - यात्रा के तीसरे अहम पड़ाव में पीम मोदी अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स पहुंचे वहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। यहां पर भारत और अर्जेंटीना के मध्य खनिज व्यापार एवं ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढाने पर गंभीर चर्चा की गई। अर्जेटीना भरत के साथ अच्छा निवेशक सहयोगी है और अब उसके साथ व्यापार को ओर बढ़ाने पर चर्चा की गई जिसमे सफलता मिली है। यह भारत का एक प्रमुख सहयेगी रहा है विशेषकर आतंकवाद के खिलाफ लडाई और जम्मू कश्मीर जैसे ज्वलंत मुददों पर सदा भारत का साथ दिया है। यह यूरोपिय यूनियन का सक्रिय सदस्य है और भारत इसके माध्यम से यूरोपियन यूनियन के अन्यस सदस्यों के मध्य आतंकवाद के खिलाफ लडाई हो या फिर संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता के लिए सभी देशों को एक समान राय पर ला सकता है। 57 वर्षांे मंे पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने अर्जेटीना यात्रा की। यहां पर महत्वपूर्ण खनिजों, तेल और गैस रक्षा परमाणु ऊर्जा कृषि विज्ञान और प्रोद्यौगिकी कृषि में ड्रोन उपयोग व मत्स्य पालन और बिजली पारेषण लाइनों की निगरानी आईसीटी िउजिटल सार्वजनिक अवसंरचना यूपीआई अंतरिक्ष रेलवे फार्मा खेल ओर लोगों के बीच संबंधों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आहावन किया गया। भारत-मर्काेसर अधिमान्य व्यापार समझौते के विस्तार पर चर्चा की गई। अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में प्रधानमंत्री मोदी को “की ऑफ द सिटी“ का सम्मान दिया गया। यह सम्मान विश्व के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को ही दिया जाता है।
ब्राजील - ब्राजील के रियो डिजेनेरियों में आयोजित 17 वें ब्रिक्स शिखर समेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील पहुंचे जहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की आवाज व विचारोें को पूर्ण समर्थन मिला। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को मिलाकर ब्रिक्स अब और अधिक मजबूत हो रहा है। इसमें मिस्र इथियोपिया ईरान सऊदी अरब यूएइ के बाद अब इंडोनेशिया के साथ 11 देश जुड़ गये हैं। ब्रिक्श शिखर सम्मेलन की अगली अध्यक्षता करने का भारत को अवसर मिला है यह अत्यंत गर्व की बात है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि पहलगाम आतंकी हमले की कडी निंदा का प्रस्ताव पारित हुआ और यहां पर प्रधानमंत्री मोदी का जो भाषण हुआ है उससे चीन, पाकिस्तान व आतंकी समूह व उनके किसी भी प्रकार का समर्थन करने वाले तत्व हिल गये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वासन दिया कि जिस प्रकार से भारत ने जी-20 की अध्यक्षता करी थी उसी प्रकार वह अगले वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा।
शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई तथा ब्रासीलिया की यात्रा में व्यापार, रक्षा, अंतरिक्ष और स्वास्थ्य सहयोग पर वार्ता हुई।व्यापार, वाणिज्य और निवेश की निगरानी के लिए मंत्रिस्तरीय तंत्र की स्थापना का निर्णय हुआ। ब्राजील के साथ छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री मोदी को ब्राजील का सर्वाेच्च सम्मान “नेशनल ऑर्डर ऑफ सदर्न क्रॉस मिला।“
नामीबिया - अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी नामीबिया पहुंचे वहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। यहां पर भी प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान आर्डर आफ द मोकसट एशिएंट वेल्विवित्वया मिराबिलिस से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया की संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करके अप्रतिम इतिहास रच दिया। नामीबिया में उद्यमिता विकास केंद्र की स्थापना और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गये। नामीबिया ने वैश्विक जैव ईधन गठबंधन, आपदारोधी अवसरंचना गठबंधन और यूपीआई तकनीक अपनाने के लिए लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला विश्व का पहला देश बन गया।
प्रधानमंत्री मोदी की ताजा यात्रा के दौरान कई विश्व रिकार्ड बने हैं जिसमे पहली बार सभी पांच देशों ने प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित किया और कुल मिलाकर अभी तक 27 देश उन्हें अपने सर्वाेच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। विपक्ष सरकार पर आरोप लगाता रहता है किंतु भारत के लिए यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक विश्व के 16 देशों की संसद को संबोधित कर चुके हैं। ऐसा अदभुत रिकॉर्ड अभी तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बना सका हैं। खबर यह भी है कि अभी विश्व के अनेकानेक देश उन्हें सर्वाेच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित करना चाह रहे हैं और इसके लिए वह उनसे समय मांग रहे हैं। अफ्रीकी देशों को चीनी मकडजाल से बचाने के लिए भारत के पास अफ्रीका में एक बहुत बड़ा अवसर है।
( उपर्युक्त लेख लेखक मृत्युंजय दीक्षित के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )
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