मोदी के 11 वर्ष : उपलब्धियां, फैसले और पड़ाव

11 years of Modi: Achievements, decisions and milestones

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Lucknow, 11 Jun, 2025 03:11 PM
मोदी के 11 वर्ष : उपलब्धियां, फैसले और पड़ाव
शाश्वत तिवारी

आईपीएन। 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब उन्होंने 'आशा और परिवर्तन' का नारा दिया। 2024 में अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे कर चुके नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारतीय राजनीति में एक निर्णायक मोड़ बन चुका है। इस एक दशक में उन्होंने जहां घरेलू स्तर पर बड़े फैसले लिए, वहीं वैश्विक मंच पर भी भारत की भूमिका को पुनर्परिभाषित किया। उनके शासनकाल को ‘फैसलों की राजनीति’, ‘प्रभावी जनसंपर्क’, ‘राष्ट्रवाद’ और ‘योजनाओं के पुनर्प्रयोग’ के लिए भी जाना जाता है।

मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया:

2014 में शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ योजना का उद्देश्य था भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना। इसके परिणामस्वरूप रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में विदेशी निवेश बढ़ा। ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल ने युवाओं में उद्यमिता की भावना को प्रोत्साहित किया। आंकड़ों के अनुसार, 2023 तक भारत में 1 लाख से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप सक्रिय थे।

उज्ज्वला योजना/

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (2016) के माध्यम से गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। इससे महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिली और स्वास्थ्य में सुधार आया।

जनधन, आधार, मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी/

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की सफलता JAM की त्रिमूर्ति पर टिकी थी। इससे सब्सिडी में पारदर्शिता आई और भ्रष्टाचार में कमी दर्ज की गई।

सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव/ स्वच्छ भारत अभियान:

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू हुआ यह अभियान भारत में स्वच्छता के प्रति जनजागरण बन गया। लाखों शौचालयों का निर्माण हुआ और खुले में शौच की प्रवृत्ति में गिरावट आई।

योग को वैश्विक पहचान:

मोदी के प्रयासों से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) को संयुक्त राष्ट्र ने 2015 से मान्यता दी। यह सांस्कृतिक पहचान का वैश्विक स्वीकार बन गया।

विदेश नीति में निर्णायक मोड़/ पड़ोसी पहले नीति:

नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश से संबंध सुधारने की कोशिश की गई। 2015 में बांग्लादेश के साथ लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट एक बड़ी उपलब्धि मानी गई।

वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका:

G20, BRICS, QUAD, SCO जैसे मंचों पर भारत की भागीदारी मजबूत हुई। 2023 में भारत ने G20 की अध्यक्षता करके वैश्विक नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया।

राष्ट्र सुरक्षा और आतंकवाद पर नीति/ सर्जिकल और एयर स्ट्राइक:

2016 में उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक, और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक, सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म’ नीति के उदाहरण बने।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दिया गया। राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद, स्वदेशी ड्रोन और मिसाइल तकनीक पर काम ने रक्षा तैयारियों को मजबूती दी।

ऐतिहासिक निर्णय और विवादास्पद फैसले/ नोटबंदी (2016):

500 और 1000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करना एक ऐतिहासिक कदम था। इसका उद्देश्य काले धन पर प्रहार और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था। हालांकि, इसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव लंबे समय तक चर्चा में रहा।

जीएसटी (2017):

वस्तु एवं सेवा कर (GST) का कार्यान्वयन स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी कर सुधार प्रक्रिया थी। इससे 'एक राष्ट्र, एक कर' की अवधारणा मजबूत हुई।

धारा 370 का निरस्तीकरण (2019):

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। यह निर्णय दशकों से लंबित राष्ट्रवादी मांग को पूरा करता है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA):

CAA 2019 के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने की नीति ने राष्ट्रीय बहस छेड़ दी। इसके विरोध में देशभर में आंदोलन हुए।

कोरोना काल में मोदी सरकार की भूमिका/ लॉकडाउन और राहत पैकेज:

2020 में कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन और आर्थिक सहायता दी गई।

वैक्सीन निर्माण और वितरण/

भारत ने कोवैक्सिन और कोविशील्ड जैसे वैक्सीन का स्वदेशी निर्माण किया। ‘वैक्सीन मैत्री’ के अंतर्गत कई देशों को टीके भेजे गए, जिससे भारत की वैश्विक छवि को मजबूती मिली।

बुनियादी ढांचे और परियोजनाएं/ हाईवे, एक्सप्रेसवे और रेलवे:

भारतमाला, सागरमाला, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी योजनाओं से परिवहन ढांचा बदला। वंदे भारत ट्रेनों और सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों की शुरुआत से रेलवे में आधुनिकता आई।

डिजिटल इंडिया:

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाया गया। मोबाइल पेमेंट्स, UPI, डिजीलॉकर, ई-गवर्नेंस जैसी सेवाएं आमजन के लिए सुलभ हुईं।

कई दशकों से प्रस्तावित (पुनः आरंभ की गई) योजनाएं और उनका उद्घाटन/ केदारनाथ और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर:

2013 की त्रासदी के बाद केदारनाथ पुनर्निर्माण मोदी के सीधे पर्यवेक्षण में हुआ। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, बनारस की सांस्कृतिक आत्मा को नया जीवन देता है।

राम मंदिर निर्माण:

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण दशकों पुराने संघर्ष का परिणाम है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ट्रस्ट निर्माण और जनवरी 2024 में रामलला के मंदिर में विराजमान होना एक सांस्कृतिक और राजनीतिक मील का पत्थर है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम/ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ:

यह योजना भ्रूण हत्या और बालिका शिक्षा पर केंद्रित थी। इसके तहत सामाजिक संदेशों और सरकारी प्रयासों के समन्वय से सुधार हुआ।

ट्रिपल तलाक निषेध:

2019 में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की गई।

पर्यावरण और जल संरक्षण/ नमामि गंगे मिशन:

गंगा नदी के संरक्षण हेतु व्यापक अभियान चलाया गया। गंगा किनारे बसे शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए।

अमृत सरोवर मिशन:

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022 से शुरू इस अभियान के तहत देशभर में हजारों तालाबों का निर्माण और पुनरुद्धार किया गया।

राजनीतिक परिदृश्य में मोदी प्रभाव/ कांग्रेस का क्षरण:

मोदी युग में भारतीय राजनीति का संतुलन एकध्रुवीय हो गया। कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी कमजोर होती चली गई, और भाजपा सबसे बड़ी चुनावी मशीन बन गई।

चुनावी सफलता:

2014, 2019 लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा कई राज्यों में सत्ता में आई। 2024 में भी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी मोदी की अपार लोकप्रियता का संकेत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्ष नीतिगत स्पष्टता, राजनीतिक संकल्प और विकास की नई परिभाषाओं के लिए याद किए जाएंगे। यह समय राष्ट्रीय चेतना के पुनर्जागरण, सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना और भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करने वाला कालखंड बन चुका है। जहां उनकी आलोचना भी होती रही। संवेदनहीन फैसलों, लोकतंत्र में संवादहीनता, और अल्पसंख्यकों की चिंता को लेकर। वहीं यह भी सच है कि उनके नेतृत्व ने भारत की राजनीति और नीति-निर्माण को नए स्तर पर पहुंचाया है।

मेरा मानना है कि, "मोदी युग" भारतीय लोकतंत्र में एक निर्णायक, विरोधाभासी किंतु प्रभावशाली अध्याय बन चुका है, जिसे आने वाली पीढ़ियां विस्तार से अध्ययन करेंगी।

( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। उपर्युक्त लेख लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )

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